10/14/2011

तीन कविताएँ


1. चेहरा

एक चेहरे के भीतर कितने होते हैं चेहरे
क्या कोई जान सका है आज तक

जिन चेहरों पर दिखती है शराफत
वही निकलते हैं सबसे बड़े दगाबाज
बिलौटे के रूप में सामने आता है
जब उन्हें दिखाया जाता है आईना

ज्ञान बघारते हैं जाति-धर्म के नाम पर
लिखते हैं पुलिंग का स्त्रीलिंग जैसा कुछ
लेकिन अपनी नस्ल की आदतें नहीं छोड़ते
जिस तरह कभी कुत्ते की पूंछ सीधी नहीं होती

सभ्य बनने का ढोंग रचते हैं वे
स्त्री के पक्ष में लिखते हुए 
उनके ही शरीर का नापजोख करते हैं 
स्त्रीवादी का लबादा ओढ़े हुए
उन्हें ही बनाते हैं दरिंदगी के शिकार

आदत है जिनकी रात रंगीन करने की
लेकिन गिरगिट की तरह रंग बदलते हुए
मौके-बेमौके पर हो जाते हैं गंभीर
जैसे उन्हें कोई ज्ञान ही नहीं
जैसे उनकी बीवी किसी और की रखैल
और वे किसी और को रखते हैं अपनी जांघों के बीच।
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2. भ्रष्ट

मेरी मानवीय संवेदनाएं खत्म हो रही हैं
भावनाओं की कसमसाहट अब नहीं बहती रगों में
वो आक्रामकता, जज्बा मिट्टी में दफन हो गई
बस, जिंदा लाश बनकर रह गया हूं मैं

मुझे नहीं होती चिंता, न अपनों की आैर न ही परायों की
भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी के खिस्से मुझे आहत नहीं करते
खबरों के दुकान में बिकने वाली चीजें मुझे अकुलाहट पैदा नहीं करते
बस, मशीन बनकर रह गया हूं मैं

इश्क की तड़पन नहीं बची है मुझमें
अपनापन और परायेपन की परिभाषा भी नहीं मालूम
दिन और रात का फर्क नहीं है इस शहर में
बस, रास्ते का पथिक बनकर रह गया हूं मैं

आतंकी मुझे अपनों से लगते हैं
बम तो बस पटाखे से दीखते हैं
भूकंप और सुनामी से नहीं होते हैं रोंगटे खड़े
और न ही किसी आकाशी चीज से परेशान होता हूं

बस, डर लगता है तो उन सफेदपोश नेताओं से 
जिसके बारे में लोग कहते हैं 
कि वह सामाजिक सरोकार वाला है
कि वह भ्रष्टाचारी नहीं है
कि वह धोखेबाज नहीं है
कि वह अपराधी नहीं है
क्योंकि लोगों का चरित्र बदलता है चेहरा नहीं।
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3. मन 
क्या मन एक कविता है?
क्या मन की बात सुनी जाती है?
क्या मन का कभी इंसाफ हुआ है?
क्या मन का काम हम कर पाते हैं?
क्या मन से हम सो पाते हैं?
क्या मन से हम जग पाते हैं?
नहीं दोस्त, नहीं
इंसान तो किसी तरह जी लेता है 
लेकिन यह मन खुद को हमेशा 
मारते, घुटते जिंदगी के सफ़र पर चलता रहता है
दरअसल, मन से बेहतर
कोई कविता नहीं
कोई कथा नहीं
और कोई राग भी नहीं
यह तो मन ही है जो इंसान को जिन्दा रखता है
तड़प सहने की शक्ति देता है
और सपनों को मरने नहीं देता
और हार के बाद जीत का रास्ता दिखाता है.  

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