10/19/2010

टूटे या खुले झूले पर


सब कुछ खुला हो तो आप कुछ नहीं कर सकते
यह कम्प्यूटर की कोई फाइल हो सकती है
खुला व्यवहार या बातचीत का दायरा भी हो सकता है
नजर चुराने का मामला भी इसमें शामिल है
ऐसा मेरे सहयोगी का कहना है और वह इस मामले के विशेषज्ञ हो सकते हैं

जरूरी नहीं कि वह खुले दिल के ही हों
जरूरी नहीं कि वह अपनी पत्नी, बच्चे या बॉस से खुले हों
जरूरी नहीं कि मॉडर्न लड़कियों को लेकर उनकी सोच खुली हो
जरूरी यह भी नहीं कि उनका लिखा खुला न होकर घिचपिच ही हो

रेडियो को ऑन करने के बदले खोल दें तो कैसे बजेगा
दरवाजा खुला हो तो कैसे मन का राक्षस जीवित हो सकेगा
आखिर आदमीयत मारने के लिए कितना सहना पड़ता है
आत्मसम्मान, नैतिकता, शिष्टाचार से मुंह फेरना पड़ता है

आप खुले तौर पर कुछ भी नहीं कर सकते हमारे सहयोगी के साथ
दिन के उजाले के चोर की तरह हैं वो
जो नजरें चुराते फिरते हैं
क्योंकि वे करते हैं कामचोरी-सीनाजोरी
और चुगलखोरी तो धर्म है ही उनका
फिर सब कुछ खुला-खुला हो तो कैसे हो सकती है बेइमानी

खुल्लम खुला कैसे कर सकता है कोई किसी लड़की की छेड़खानी
पिटाई होने का डर जो है, बदनाम होने का भी
खुले तौर पर कैसे लड़की के चरित्र पर सवालिया निशान उठाया जा सकता है
जब सड़क के किनारे या फिर मेट्रो स्टेशन पर हो बैठने के लिए काफी जगह
आखिर थोड़ी-सी लज्जा भी छुपी है अंदर अभी तक

अपनी बहन-बेटी के चरित्रता की नहीं कर सकते बात
लेकिन ऑफिस में काम करने वाली महिला सहयोगी
या सामने वाली खिड़की में रहने वाली कोमलांगी को लेकर
खुले तौर पर नहीं बोल सकते, इसलिए क्यों न कर लें कानाफुसी

टूटे या खुले झूले पर
मन नहीं भर सकता खुलेआम हिंडोला
न ही जमाने के सबसे बड़े और खुले तकिए पर
मैं लिख सकता था अपना नाम
सेक्सुअल जमाने में
खुला हो सामने वाला तो घबराना जरूरी था
नहीं तो हम हो जाते बदनाम
आखिर हमाम में नंगे जमाने में
एक हम थे जो न तो नंगा पैदा हुए और न ही नंगे मरेंगे
यही भ्रम था जमाने से
आखिर खुला दिमाग जो न था।

4 comments:

spardha said...

अपनी बहन-बेटी के चरित्रता की नहीं कर सकते बात
लेकिन ऑफिस में काम करने वाली महिला सहयोगी
या सामने वाली खिड़की में रहने वाली कोमलांगी को लेकर
खुले तौर पर नहीं बोल सकते, इसलिए क्यों न कर लें कानाफुसी
likha bilkul sateek hai...kash ki log ise samajh pate...

POOJA... said...

please thoda sa edit kar de... padhne mei aasani jayegee...

Udan Tashtari said...

काफी सच खोल दिये...रचना के माध्यम से.

अफ़लातून said...

पाठ को left aligned कीजिए.अभी दाहिनी हाशिए पर पाठ चला जा रहा है.