10/23/2010

अंग्रेजीदां ने हिन्दी कबूली

वाल स्ट्रीट जर्नल इंडिया द्वारा लांच ब्लॉ ग इंडिया रियल टाइम हिन्दी पर स्पष्ट लिखा हुआ है, जिन महत्वपूर्ण प्रसंगों पर विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र चर्चा कर रहा है, जिनका अभिन्न हिस्सा आप भी है, उन्हीं विषयों पर वाल स्ट्रीट जर्नल और डाव जोंस के पत्रकारों द्वारा लिखी गई व्याख्याएं आप यहां रोजाना पढ़ सकते है

कुछ साल पहले जब हिन्दी ब्लॉगिंग की शुरुआत हुई थी तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि इंटरनेट की दुनिया में हिन्दी इस कदर छा जाएगी। यही कारण है कि जब आप गूगल पर अंग्रेजी में ’हिन्दी ब्लॉग‘ सर्च करते है तो 32 करोड़ रिजल्ट आपके सामने होता है। वही जब हिंदी में ’हिन्दी ब्लॉग‘ सर्च करते है तो यह आं कड़ा पांच लाख पार जाता है। पिछले दिनों जब वाल स्ट्रीट जर्नल इंडिया ने हिन्दी ब्लॉग लांच किया तो यह सोचना लाजिमी है कि आखिर हिन्दी किस तरह अंग्रेजी दुनिया में अपनी पैठ बनाने में सफल रही है। हालांकि वाल स्ट्रीट जर्नल का कहना है कि यह महज एक प्रयोग है और इसके जरिए इंडिक लैग्वेज कंजम्पशन पैटर्न को समझने की कोशिश की जा रही है। साथ ही क्वालिटी लेखकों और कंटे ट को सामने लाने की ओर ध्यान दिया जा रहा है। यह बात और है कि भारत की जिन मीडिया का काम हिन्दी में हो रहा है वह इंटरनेट की दुनिया में जरूर अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुके है या करा रहे है।

हिन्दी ब्लॉगर्स की ओर नजर डालें तो आलोक कुमार का ’9211‘ को हिन्दी का पहला ब्लॉग माना जाता है। 21 अप्रैल, 2003 में वह पहली बार लिखते है, ’चलिए अब ब्लॉग बना लिया है तो कुछ लिखा भी जाए इसमें। वैसे ब्लॉग की हिन्दी क्या होगी? पता नहीं।‘ उस दौर में उनकी दुविधा जायज थी लेकिन कुछ ही समय में हिन्दी ने ब्लॉगिंग की दुनिया में जो तरक्की की है, वह काबिलेतारीफ है। शुरुआती दौर में तकनीकी तौर पर हिन्दी पिछड़ता नजर आया। 2006 तक हिन्दी ब्लॉग की संख्या महज सैकड़े में थी जो अब 15 हजार के पार हो गई है। छह लाख से भी अधिक प्रविष्टियां यहां मौजूद है तो दो लाख से भी अधिक सांकेतिक शब्दों के जरिए ब्लॉग की दुनिया में घूमा जा सकता है।

हिन्दी ब्लॉगों को लोकप्रिय बनाने में एग्रीगेटर ने काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 2005-2006 में जीतू ने ’अक्षरग्राम‘ शुरू किया और फिर ’नारद‘ की शुरुआत हुई। 2007 में ’ब्लॉगवाणी‘ और ’चिट्ठाजगत‘ अस्तित्व में आया। कालांतर में सब ठंडे पड़े है लेकिन ’चिट्ठाजगत‘ आज भी मौजूद है। हालांकि इसके बाद और भी कई एग्रीगेटर मैदान में आए है लेकिन लोकप्रियता के मामले में कुछ खास नहीं कर पाए है। वर्तमान दौर में हिन्दी ब्लॉगर्स कई विषयों पर खूब लिख रहे है। चिट्ठाजगत ने तो बकायदा तकनीक, कला, समाज, इकाई, खेल, मस्ती और सेहत जैसे कॉलम बनाकर संबंधित ब्लॉग और पोस्टों को पाठकों के सामने परोस रहे है।

ताज्जुब है कि अंग्रेजीदां लोग अब भारत और भारतीय भाषाओं को इतनी गंभीरता से ले रहे है। इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि वाल स्ट्रीट जर्नल इंडिया द्वारा लांच ब्लॉग इंडिया रियल टाइम हिन्दी पर स्पष्ट तौर से लिखा हुआ है, ’जिन महत्वपूर्ण प्रसंगों पर विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र चर्चा कर रहा है, जिसका एक अभिन्न हिस्सा आप भी है, उन्हीं विषय पर वाल स्ट्रीट जर्नल और डाव जोंस के पत्रकारों द्वारा लिखे गए व्याख्याएं आप यहां रोजाना पढ़ सकते है।‘ बीबीसी ने काफी पहले ही भारतीय पाठकों की नब्ज को देखते हुए ब्लॉग या फिर हिन्दी में वेबसाइट लांच किया था। हालांकि चीन और जर्मन रेडियो काफी अरसा पहले से ही खबरों के साथ-साथ तमाम बातें अपनी हिन्दी वेबसाइट के जरिए हिन्दी पाठकों के सामने परोस रहे है।

1 comment:

प्रवीण त्रिवेदी said...

कम से कम विनीत भाई लिंक तो दिए होते ?वैसे यह लिंक है |
जानकार अच्छा लगा ! हिन्दीमय होने पर खुशी तो हो ही रही है !



यह किस्सा भी बेशर्म भारतीय राजनीति में निर्लज्जता का ही अध्याय है