11/22/2009

क्रिकेटर नंबर वन : मिताली राज

आईसीसी द्वारा घोषित ताजा वन डे क्रिकेट की बल्लेबाजी रैंकिंग में मिताली का नंबर वन होना कई मायने में अहम है। क्योंकि पुरूष वर्ग में यह उपलब्धि सिर्फ महेंद्र सिंह धोनी के नाम है। क्योंकि भारत की आ॓र से बल्लेबाजी में किसी को टॉप-10 में स्थान नहीं मिला है। क्योंकि अनुभवी बल्लेबाज अंजुम चोपड़ा 18वें स्थान पर हैं। क्योंकि वह भारतीय महिला क्रिकेट की रीढ़ मानी जाती है। क्योंकि टेस्ट हो या वन डे, सबमें इसने अपनी बल्लेबाजी का लोहा मनवाया है।
राजस्थान के जोधपुर में तीन दिसंबर, 1982 में जन्मीं मिताली राज दसवीं पास करने के बाद क्रिकेट को काफी गंभीरता से लिया। 1991-92 के समर कैंप में उसने हिस्सा लिया जहां वह एकमात्र महिला खिलाड़ी थीं। क्रिकेट का पहला गुर संपत कुमार ने सिखाया। जब वह पांच साल की थीं तब पहली बार मारेडपल्ली क्रिकेट क्लब में शामिल हुई। महज 12 साल की उम्र में हैदराबाद में वीमेन लीग में वह शामिल हुई और साढ़े 14 साल में 1997 के वर्ल्ड कप के संभावित खिलाड़ियों में शामिल होने का मौका मिला। उसने पहली बार कोलकाता में क्रिकेट कैंप में हिस्सा लिया जहां वह अपने साथ एसएससी की किताबें ले गई थीं।
मिताली बताती हैं कि पूरे परिवार में किसी ने कभी सोचा भी न था कि वह क्रिकेट में अपना करियर बनाएगी। मेरे पापा भाई को क्रिकेट के मैदान पर ले जाते थे जिस कारण मैं भी सुबह में जल्दी जग जाती थीं। चूंकि मेरे पापा एयर फोर्स में अधिकारी रहे थे, इस कारण उन्हें यह पसंद नहीं था सभी लोगों के जगने के बाद मैं बिछावन पर रहूं। कभी वक्त था जब वह सुभाषिणी शंकर और आनंद शंकर जयंत से नृत्य सीखती थीं। यदि वह आज एक क्रिकेटर नहीं होतीं तो नृत्यांगना होतीं। आंध्र प्रदेश की मुख्यमंत्री कोटला विजयभास्कर रेड्डी के सामने उसने नृत्य की प्रस्तुति दी है।
भले ही नृत्य करना उनका शौक था लेकिन सिविल सेवा भी उसका एक सपना था। 2003 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित मिताली 1999 में आयरलैंड के खिलाफ रिकार्ड 114 रन बनाकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी पहचान कायम की। मां लीला राज और पिता एस। डोराज राज की बेटी मिताली ने इंग्लैड के खिलाफ 214 रन बनाकर अपने बल्लेबाजी का जलवा दिखाया है।
चावल-कढ़ी और दाल-चावल पसंद करने वाली भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली अंडे, बादाम, केला आदि पसंद करती हैं। इंटर करने के बाद मिताली को रेलवे में नौकरी मिली। सचिन तेंदुलकर, एडम गिलक्रिस्ट और माइकल बेवन उसके पसंदीदा खिलाड़ी हैं। उसका मानना है कि क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं है बल्कि यह जीवन जीने की कला है। वह मानती है कि क्रिकेट के कारण ही वह खुद को काफी स्वतंत्र महसूस करती हैं।

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