11/08/2009

आशा पांडे - फ्रांस का सर्वोच्च सम्मान

फ्रांस का सर्वोच्य नागरिक सम्मान ‘लिजन दि ऑनर’ से सम्मानित होने वाले सत्यजित राय, शिवाजी गणेशन, अमिताभ बच्चन, रविशंकर और आरके पचौरी कि लिस्ट में पहली बार किसी भारतीय महिला का नाम शुमार हुआ है। मूल रूप से कुमाऊं के अल्मोड़ा जनपद के पाटिया गांव की निवासी प्रो। आशा पांडे का जन्म देहरादून के क्लेमनटाउन में हुआ, जिन्हें इस साल फ्रांस सरकार इस सम्मान से सम्मानित कर रही है।

राजस्थान विश्वविघालय में प्राध्यापक आशा दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविघालय के फ्रैंच भाषा के पहले बैच की पोस्ट ग्रेजुएट हैं। उन्होंने जेएनयू से ही पीएचडी की उपाधि भी प्राप्त की है। प्रो। पांडे वर्तमान में राजस्थान विश्वविघालय जयपुर में ड्रामाटिक्स विभाग की अध्यक्ष व यूरोपियन स्टडीज विभाग में प्रोफेसर हैं। प्रो. पांडे को यह सम्मान भारत-फ्रांस रिश्तों को प्रगाढ़ करने तथा राजस्थान में फ्रैंच भाषा के प्रसार के लिए प्रदान किया जाएगा। 1973 बैच के आईएएस अफसर अशोक पांडे से शादी करने वाली आशा अक्सर अपने गृह प्रदेश और गृह नगर जाते रहती हैं।

1982 में डॉ. पांडे ने इंडो-फ्रैंच कल्चरल सोसायटी का गठन किया और फ्रैंच भाषा पढ़ानी शुरू की। पिछले 27 सालों से फ्रेंच के प्रचार-प्रसार में जुटी हुई हैं। उनके ही प्रयासों का फल है कि राजस्थान में करीब सात हजार छात्र यूरोपियन भाषाओं का अध्ययन कर रहे हैं। बताते हैं कि जयपुर में कुछ स्कूल और दस कालेज फ्रेंच से जुड़े विभिन्न कोर्स छात्र को उपलब्ध करा रहे हैं। इतना ही नहीं, राजस्थान विश्वविघालय भी छात्रों को पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स फ्रेंच में उपलब्ध कराया है।

डा। आशा पांडे का मानना है कि फ्रेंच भाषा सीखने से छात्रों को जहां रोजगार मिल रहा है, वहीं फ्रांस कि संस्कृति से रूबरू होने पर उनके व्यक्तित्व में निखार आता है, जिससे जीवन को नई दिशा मिलती है। यही कारण है कि यहां पढ़ाई करने वाले छात्रों को विभिन्न वर्कशापों के साथ फ्रेंच थियेटर और गोष्ठी में शामिल किया जाता है। आशा बतातीं हैं कि कुछ महीने पहले फ्रांस दूतावास के अधिकारी उनसे बायोडाटा मांगा था लेकिन उन्हें इस बात का तनिक भी भान नही था कि उन्हें इस सम्मान से नवाज जाएगा।

जब उन्हें सम्मान मिलने कि जानकारी मिली तो सबसे पहले अपने पति को इस बात कि जानकारी दी लेकिन दीवाली आ जाने के कारण और किसी को बता नहीं पाई। उनके पिता देहरादून के क्लेमनटाउन में भारतीय सेना की नेशनल डिफेंस अकादमी में थे। जब यह अकादमी पुणे खड़गवासला स्थानांतरित हो गई तो उनका परिवार भी खड़गवासला चला गया। डॉ. आशा की प्राथमिक शिक्षा वहीं के केंद्रीय विघालय में हुई।

1 comment:

अजय कुमार झा said...

आशा पांडे जी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ...