2/03/2008

जब घर में भांजी की किलकारी गूंजी




जब घर में भांजी की किलकारी गूंजी

साल २००१ में मेरे यहाँ आज के दिन, तीन फरवरी को पहली भांजी पैदा हुई। ठंड का समय था। भांजी घर आयी क्या, घर के सभी लोगों को एक खिलौना मिल गया था। दिन हो या रात सभी उसी के साथ चिपके रहते। पापा कालेज से आते तो सीधा उसे ही देखने जाते। मैं बाहर से आता तो बस सीधा रास्ता उसी कमरे में होता, जहाँ वह होती। छोटी बहन तब तक सोचती कि घर में सबसे छोटी वही है, इसलिए सबसे दुलारी है, लेकिन अब तो उससे भी कोई छोटी घर में थी। वह हमेशा उसकी सेवा में लगी रहती। उसे सुलाने का काम मेरा होता।कोई भी बच्चा कितना भी नटखट हो मेरी गोदी में उसे पता नही कितना शकुन मिलता है, वह सो जाता है।

उसके जनम के समय जीजाजी नही थे। भागलपुर में जिस डाक्टर के अस्पताल में उसका जनम हुआ था, वह मेरे मित्र की माताजी थी। इस कारण वहाँ अपने घर जैसा माहौल था। भागलपुर के तिलकामांझी स्थित तीन मंजिले मकान के जमीनी तल पर अस्पताल और पहले मंजिल पर डाक्टर शैल बाला श्रीवास्तव जी का घर था। पहली मंजिल पर ही मेरे मित्र का कमरा था, जहाँ कभी बैठ दोनों पढ़ते थे। उस वक्त डाक्टर अंटी कभी चाय तो कभी नास्ता खुद हम लोगों के लिए लाती।


सामान्य ढंग से भांजी शाश्वती पैदा हुई। घर के लोग यहाँ तक जितने परिचित थे उसे देखने आते। घर में हर दिन उत्सव का माहौल होता। लेकिन उस दौर में बहन के ससुराल के लोगों को थोडी कशिश रही कि बेटा पैदा नही हुआ। हालांकि, शाश्वती ने सभी का इतना मन जीत लिया कि आब तो सबसे जाया अपने दादा और दादी की दुलारी है। शाश्वती का घर मधुबनी के पास स्थित पिलखवार है। वैसे भागलपुर के पास सबौर में भी आलिशान मकान है।

इन दिनों शाश्वती इंदौर में अपने मम्मी और पापा के साथ रह पढ़ाई कर रही है। पढ़ने में इतनी होशियार की आप मिलें तो दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर हो जाएँ। समझदार इतनी की मुझे उसका मामा कहने पर शर्म आती है। सभी शब्दों का उच्चारण इतना सटीक और बोलते वक्त अधूरी पंक्ति नही छोड़ती।


निश्चयी इतनी है कि भले ही कितनी ठंड हो सुबह नहाने के बाद ही अन्न का दाना मुँह में डालेगी। क्लास में हमेशा अव्वल। लेकिन यदि स्कूल में किसी दिन टीचर ने दांता तो फिर घर आकर उसका रोना-धोना शुरू। मम्मी से हिसाब करेगी कि उसकी क्या गलती थी। कोई भी हो सीधे शब्दों में बात करेगी। कोई दर नही, कोई पंगा नही। फोन पर बेहिचक आप का हाल पूछेगी और फिर मम्मी को फोन देगी।


छोटी बहन और भाई से इतना प्यार करती है, जैसे वही दोनो का अभिवावक हो। खामी भी है, गुस्सा का घूंट पी जायेगी, दिल को चोट लगने पर चुपचाप रहेगी। एकलौता ममम यानी मुझसे न तो कभी टाफी मांगी और न ही कुछ और। बस बोलेगी, एक बार इंदौर आ जाओ मिलने। इतनी प्यारी भांजी से कौन नही प्यार करना चाहेगा।

2 comments:

mamta said...

शाश्वती को जन्मदिन की बधाई।

anuradha srivastav said...

खुशनसीब हैं आप...........