7/05/2023

फिल्म उद्योग को भा रहा जम्मू कश्मीर

फिल्म उद्योग को भा रहा जम्मू कश्मीर

डॉ. विनीत उत्पल

राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फिल्मकारों को एक बार फिर से जम्मू कश्मीर लुभा रहा है. यहाँ करीब तीन सौ से अधिक फिल्मों और ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए बनने वाली सीरीजों की शूटिंग हो रही है. नए-नए लोकेशन ढूंढे जा रहे हैं और उनकी जानकारी फिल्मकारों के साथ-साथ आम जनता को मुहैया कराया जा रहा है. राज्य सरकार ने जम्मू कश्मीर फिल्म विकास परिषद् (जेकेएफडीसी) का गठन किया है और इसके पोर्टल के जरिये दुनिया भर के फिल्मकारों को करीब 1500 से अधिक स्थानीय अभिनेताओं, अभिनेत्रियों, कलाकारों, कला निर्देशकों, कैमरामैन, सिनेमाटोग्राफर, निर्देशक, डांसर, लोकेशन मैनेजर, मॉडलिंग एजेंसी, प्रोड्यूसर, गायक आदि से संपर्क साधने और काम देने का मौका मिल रहा है. राज्य सरकार की पहल पर राज्य के करीब 250 विभिन्न लोकेशनों की जानकारी के साथ-साथ तुरंत ऑनलाइन बुकिंग कराने का मौका भी फिल्मकारों को पोर्टल के जरिये मिल रहा है. इन लोकेशनों में किला, गोल्फ कोर्स, झील, बांध,जलप्रपात, घास के मैदान, घाटी, संग्रहालय, महल, पार्क, धार्मिक स्थल, बर्फबारी वाले स्थल, हिलटॉप आदि शामिल हैं.

जी-20 सम्मलेन के तुरंत बाद श्रीनगर में 26 मई को कश्मीरी निर्माता-निर्देशक की बनाई फिल्म ‘वेलकम टू कश्मीर’ का प्रीमियर हुआ. बीते 34 वर्ष के दौरान आम कश्मीरियों की जिंदगी पर आधारित यह फिल्म थी और इसमें अभिनय करने वाले मुख्य कलाकार भी कश्मीरी थे. राज्य के सोपोर के पास के गांव के तारिक बट इस फिल्म के निर्देशक हैं और यह फिल्म श्रीनगर के आइनॉक्स सिनेमा में दिखाया गया था. जम्मू कश्मीर फिल्म नीति-2021 के लागू होने के बाद तो राज्य का परिदृश्य ही बदल चुका है. स्थानीय लोगों का टैलेंट उभर कर सामने आ रहा है. क्षेत्रीय भाषा और कम बजट वाली फिल्मों की शूटिंग हर जगह जमकर हो रही है. दिन-रात फिल्म निर्माण का कार्य चल रहा है. फिल्म की नीति को वर्ष 2026 तक ध्यान में रखकर तैयार किया गया है, जिसके तहत अगले पांच वर्षों में फिल्म शूटिंग के लिए जम्मू कश्मीर को मुफीद जगह बनाने, अधिक से अधिक स्थानीय कलाकारों को अपने टैलेंट दिखाने और स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया कराने, राज्य की कला, संस्कृति, इतिहास और परम्पराओं को सामने लाने की है. यहाँ शूटिंग को बढ़ाने और फिल्मकारों को आकर्षित करने की पहल उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के प्रयासों से हुई, जिस कारण कश्मीर की हसीं वादियों में शाहरुख़ खान, रणवीर सिंह, आलिया भट्ट आदि अपनी फिल्म की शूटिंग करने के लिए आ चुके हैं.

कश्मीर फिल्म विकास परिषद् (जेकेएफडीसी) की स्थापना जम्मू कश्मीर के सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के  अंतर्गत किया गया. फिल्म प्रभाग के जरिये लघु और शिक्षाप्रद फिल्मों को राज्य के विभिन्न सिनेमाघरों में दिखाए जाने का प्रावधान किया गया है. राज्य में फिल्म शूटिंग के लिए सब्सिडी उपलब्ध कराने के साथ-साथ विभिन्न उपकरण भी आसानी से उपलब्ध कराये जाने की योजना को अमलीजामा पहनाने का कार्य चल रहा है. यदि कोई व्यक्ति जम्मू कश्मीर की विशेष ब्रांडिंग जैसे विषय पर फ़िल्में बनाता है. तो उसे निर्माण में होने वाले खर्च का 50 फीसदी यह पांच करोड़ रुपये तक की आर्थिक सहायता मुहैया कराने का प्रावधान जम्मू कश्मीर फिल्म नीति-2021 में है. ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ जैसे विषयों सहित बच्चों व महिला सशक्तिकरण कैसे विषयों पर बनने वाली फिल्मों को भी सब्सिडी प्रदान की जा रही है. पुरस्कृत फिल्मकारों को भी विशेष सब्सिडी प्रदान करने की योजना पर कार्य राज्य सरकार कार्य कर रही है.

जम्मू कश्मीर में फिल्म निर्माण को लेकर राज्य और केंद्र सरकार किस तरह सजग है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राज्य सरकार ने फिल्म उद्योग को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2026 तक पांच सौ करोड़ रुपये का बजट रखा है. राज्य सरकार के द्वारा क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्मों के निर्माण में छूट प्रदान की जा रही है. फिल्म सिटी से लेकर स्टूडियो के निर्माण में भी आर्थिक सहायता मिल रही है. बंद पड़े सिनेमाघरों का पुनरुद्धार किया जा रहा है. मौजूदा सिनेमाहाल को अपग्रेड किया जा रहा है. नए मल्टीप्लेक्स और सिनेमा हाल के निर्माण करने को बढ़ावा दिया जा रहा है. और तो और जम्मू कश्मीर फिल्म आर्काइव का गठन किये जाने का का कार्य किया जा रहा है, जिससे फिल्मों का डेटाबेस तैयार हो. साथ ही, संबंधित पोर्टल पर राज्य में शूट की गई फिल्मों की जानकारी भी सार्वजानिक तौर पर उपलब्ध कराया जा रहा है. कुछ वर्ष पूर्व उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के मुंबई दौरे में फिल्म उद्योग से जुड़े लोगों के साथ विचार-विमर्श और सुझाव के बाद जम्मू कश्मीर में फिल्म पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए जम्मू कश्मीर फिल्म नीति-2021 तैयार की गई थी.

साठ के दशक से लेकर आज तक दुनिया भर के फिल्मकारों को जम्मू कश्मीर लुभा रहा है. शम्मी कपूर और नंदा का रोमांस हो या शाहरुख़ खान व कैटरीन कैफ की जोड़ी, दुनिया भर के लोगों ने बड़े परदे पर जम्मू-कश्मीर की वादियों में ये हसीन दृश्य देखे. वर्ष 1960 के दशक में ‘कश्मीर की कली’, ‘जब-जब फूल खिले’, ‘हिमालय की गोद में’, ‘जानवर’ जैसी फिल्मों की शूटिंग श्रीनगर और गुलमर्ग में हुई थी. 1973 में आई सुपरहिट फिल्म ‘बॉबी’ की शूटिंग गुलमर्ग और पहलगाम में हुई थी. ‘रॉकस्टार’, ‘हाइवे’, ‘बजरंगी भाईजान’, ‘राजी’, ‘ये जवानी, ये जवानी’ आदि की शूटिंग भी राज्य के विभिन्न लोकेशन पर हुई है.

वर्ष 1970 और 1980 के दशक में अंतरराष्ट्रीय फिल्मकारों का भी कश्मीर ने मन मोहा और 1983 में बिल मूरे की फिल्म ‘रोजर्स एज’ और ब्रिटिश फिल्म ‘द क्लाइम्ब’ की शूटिंग 1986 में हुई. ‘राइडिंग सोलो टू द टॉप ऑफ़ द वर्ल्ड’, लिविंग इन इमर्जेन्सी, हाइयेस्ट पास जैसी अंतरराष्ट्रीय स्तर की डॉक्यूमेंट्री फिल्मों की शूटिंग भी घाटी के विभिन्न इलाकों में हुई. जर्मनी की फिल्म ‘एस्केप फ्रॉम तिब्बत’, ब्राजील की फिल्म ‘बॉलीवुड ड्रीम’, रूस की फिल्म ‘द फॉल’ की शूटिंग भी जम्मू कश्मीर में हुई और यहाँ के लोकेशन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहे गए.

जम्मू कश्मीर में अगस्त, 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद आतंकी हिंसा पर लगाम लगने के साथ कश्मीर में शांति और विकास ने भी रफ़्तार पकड़ी है. कश्मीर में जंगल, दरिया, झीलें, पहाड़ और बाग़ सबको आकर्षित करते हैं. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विश्वास है कि पर्यटन के विभिन्न क्षेत्रों के सकारात्मक प्रभाव होते हैं. यह रोजगार सृजन का बढ़ा माध्यम भी है. ऐसे में जम्मू कश्मीर पर्यटन के साथ-साथ फिल्म उद्योग के लिए नया इतिहास लिख रहा है. जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा एक आलेख में लिखते हैं कि तीसरे टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की इस बैठक में प्रधानमंत्री के संकल्पों और सपनों का साहस था. सपनों की सबसे बड़ी खूबी यह है कि उसकी अभिव्यक्ति ही जागृति बन जाती है. उनके मुताबिक, ’आज पूरा प्रशासन और करीब 460 सार्वजानिक सेवाएं मोबाइल पर सहजता से उपलब्ध है. यह परिवर्तन नागरिकों को बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित कर रहा है. जी-20 की बैठक के दौरान भी इस डिजिटल क्रांति को महसूस किया गया, जहाँ इंटरनेट मीडिया पर छाये फोटो और वीडियो के माध्यम से जीवन सुगमता की नई चेतना सहज रूप में परिलक्षित हो रही थीं. जाहिर सी बात है कि विकास की नई राह के कारण जम्मू कश्मीर आज देश दुनिया का सबसे लोकप्रिय फिल्म स्थल बन रहा है और राज्य के विभिन्न स्थान फिल्मकारों को आकर्षित कर आमंत्रित कर रहे हैं.

जम्मू कश्मीर फिल्म नीति-2021 के तहत ऑनलाइन आवेदन करने पर फिल्म शूटिंग की मंजूरी दो से चार हफ़्तों में फिल्मकारों को मिल रही है और आर्थिक मदद के साथ-साथ संसाधन भी मुहैया कराये जा रहे हैं. यही कारण है कि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा कहते हैं, “लगभग चार दशक के बाद एक बार फिर से जम्मू कश्मीर और बॉलीवुड के रिश्ते को फिर से बहाल किया गया है. वर्ष 2021 में फिल्म क्षेत्र से संबंधित निवेश को ज्यादा आकर्षित करने के साथ ही जम्मू कश्मीर को दुनिया का सबसे लोकप्रिय फिल्म शूटिंग स्थल बना है.” वहीं, केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री जी. किशन रेड्डी का कहना है कि कश्मीर समेत पूरे देश में फिल्म निर्माताओं के लिए हर तरह के शूटिंग स्थल हैं. जम्मू कश्मीर में देश का नंबर एक फिल्म पर्यटन स्थल बनने की पूरी सम्भावना है. देश की सर्वश्रेष्ठ रामोजी फिल्म सिटी मेरे गृह प्रदेश तेलंगाना में है और जम्मू कश्मीर के हर पर्यटनस्थल पर एक फिल्म सिटी होने की इच्छा उनकी है. प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह का भी मानना है कि कश्मीर में बर्फ से ढके पहाड़ और खूबसूरत वादियां सब कुछ हैं. हालात में बदलाव के साथ ही कश्मीर घाटी एक बार फिर देश-विदेश के फिल्म निर्माताओं को अपनी तरफ आकर्षित कर रही है. फिल्म जगत और कश्मीर का जो संबंध टूटा है, जो फिर से मजबूत और जीवंत बनाने का मौका है.

जी-20 देशों की बैठक के दौरान जम्मू कश्मीर में फिल्म निर्माण को लेकर काफी बातचीत हुई और यह संदेश प्यूरी दुनिया को दी गई कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फिल्मकार राज्य के विभिन्न लोकेशन पर शूटिंग करें. दक्षिण भारतीय फिल्म सिनेमा के सुपर स्टार और नाटु-नाटु गीत से पूरी दुनिया में छाये रामचरण ने भी कहा कि कश्मीर ऐसी खूबसूरत जगह है जिसे आसानी से बयां नहीं किया जा सकता है. यह किसी को भी मोह लेता है और यहाँ खिंचा चला आता है. कश्मीर हमेशा से ही सभी को अपनी तरफ आकर्षित करता आया है. मेरे पिता ने गुलमर्ग और सोनमर्ग में कई फिल्मों की शूटिंग की है. यहाँ मैंने खुद अपनी एक फिल्म की शूटिंग में हिस्सा लिया है. आख़िरी बार 2016 में फिल्म शूटिंग माँ लिया है. वह शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में हुई थी.

जी-20 सम्मलेन में भारत के जी-20  शेरपा अमिताभ कांत ने भी कहा कि कश्मीर फिल्म शूटिंग के लिहाज से दुनिया का सर्वश्रेष्ठ स्थान है. राज्य में सभी के लिए कुछ न कुछ जरूर है और रोमांटिक फिल्मों की शूटिंग के लिए कश्मीर से बढ़कर कोई दूसरी जगह नहीं है. वहीं, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में सचिव अपूर्व चंद्रा ने कहा कि कश्मीर में बीते कुछ समय के दौरान 400 फिल्मों, टीवी सीरियल और विज्ञापनों की शूटिंग की अनुमति दी गई है. यह प्रो-एक्टिव इकोसिस्टम के जरिये संभव हो पाया है. संबंधित अधिकारी फिल्मों की शूटिंग के लिए संबंधित लोगों को आवश्यक मदद प्रदान करने के अलावा अंतरराष्ट्रीय फिल्म यूनिटों के लिए वीजा संबंधी औपचारिकताओं में भी सहयोग करते हैं.

जम्मू कश्मीर सूचना विभाग के निदेशक मिंगा शेरपा ने भी जी-20 सम्मलेन के दौरान विदेशी मेहमानों को जम्मू कश्मीर की खूबसूरती विरासत और यहाँ पर फिल्म प्रोडक्शन की संभावनाओं से अवगत कराया था. उन्होंने बताया था कि जम्मू कश्मीर सरकार ने फिल्मों की शूटिंग के लिए विशेष स्थल विकसित किये हैं. राज्य सरकार ने राज्य के 300 ऐसे स्थलों की सूची सार्वजानिक की है.प्रशासन ने जम्मू कश्मीर में फिल्मों की शूटिंग की अनुमति देने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम की व्यवस्था की है. इससे फिल्म निर्माताओं को अलग-अलग विभागों से इजाजत लेने के लिए नहीं भटकना पड़ता। उन्होंने बताया कि जम्मू कश्मीर में फिल्म शूटिंग के लिए अपार संभावनाएं हैं. यहाँ की पहाड़ियां, जंगल और यहाँ की झीलों के इर्द-गिर्द फिल्म शूटिंग की संभावनाएं हैं.

बहरहाल, जम्मू कश्मीर में जिस तरह चौतरफा विकास राज्य सरकार और केंद्र सरकार के द्वारा किया जा  रहा है, और आतंकवाद व भ्रष्टाचार पर लगाम लगाया जा रहा है, ऐसे में यह भारत के मानचित्र की नई तस्वीर सामने लाने में सक्षम हो रहा है. गुलमर्ग, पहलगाम और सोनमर्ग की लोकेशन दुनियाभर में चर्चित हैं पर प्रदेश सरकार नए ऐसे स्थलों का विकास कर रही है. यदि राज्य के हालत बेहतर होते रहे तो वह दिन दूर नहीं जब फिल्म शूटिंग से लेकर फिल्म निर्माण तक के लिए यह दुनिया भर के फिल्मकारों का आश्रय स्थल के रूप में सामने आएगा.

(लेखक भारतीय जन संचार संस्थान, जम्मू में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर हैं और डिजिटल मीडिया कोर्स के समन्वयक हैं)


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