आज भी भारतीय परम्पराओं को निभाती नूई के घर में घी का दीपक हमेशा जलता रहता है। यही नहीं, दो बेटियों की मन नूई की भगवन गणेश में जबरदस्त आस्था है
नूई के घर के अंदर कोई भी जूता-चप्पल पहनकर नहीं जाता। उनके घर के विशालकाय पूजा घर में घी का दीपक हमेशा चलता रहता है और अगरबत्ती की भीनी-भीनी खुशबू लोगों को संभ्रांत भारतीय घर की नजीर पेश करता है। उनके पति न्यूयार्क स्थित कंसल्टिंग फर्म में पार्टनर हैं। दो बेटियों की मां नूई की भगवान गणेश में जबरदस्त आस्था है।
1994 में पेप्सिको ज्वाइन करने के बाद नूई ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2006 में उन्होंने सीईआ॓ और 2007 में चेयरपर्सन का पदभार संभाला। फॉर्च्यून पत्रिका ने लगातार 2006, 2007 और 2008 में बिजनेस की दुनिया में सबसे ताकतवर महिलाओं में उन्हें शुमार किया है। 2008 में अमेरिकी न्यूज एंड वर्ल्ड रिपोर्ट ने उन्हें अमेरीका के बेहतरीन लीडर की लिस्ट में शामिल किया। भारत सरकार ने 2007 में उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया तो 2008 में उन्हें अमेरिकन एकेडमी ऑफ आर्ट एंड साइंस का फेलोशिप प्रदान किया गया।
अपनी मां से प्रभावित इंदिरा की प्रारंभिक शिक्षा काठमांडू स्थित वनस्थली हाईस्कूल से हुई। इसके बाद 1974 में उन्होंने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से रसायन विज्ञान से स्नातक किया। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, कोलकाता से उन्होंने एमबीए की डिग्री हासिल की। कुछ दिनों तक जॉनसन एंड जॉनसन और एक अन्य टेक्सटाइल फर्म में काम करने के बाद 1978 में याले स्कूल ऑफ मैनेजमेंट में दाखिला लिया और पब्लिक एंड प्राइवेट मैनेजमेंट में मास्टर की डिग्री हासिल की।
अमेरिका की किसी कंपनी में इस मुकाम तक पहुंचना मायने रखता है। नूई का यहां तक का सफर काफी संघर्षपूर्ण रहा है। उनका कहना है जिस देश में महिला और रंग मायने रखता है वहां इस मुकाम को हासिल करने में छोटा-सा एक मंत्र काफी सहायक रहा है। उनका मंत्र है, ‘महिला होने के नाते पुरूष सहयोगी के मुकाबले दोगुनी मेहनत करो, सफलता तुम्हारे कदम चूमेगी।’
(यह आलेख राष्ट्रीय सहारा के २९ जुलाई के अंक में prakashit हुआ है)
1 comment:
इंदिरा नूई के बारे में जानकर अच्छा लगा .. पर महिला होने के नाते पुरूष सहयोगी के मुकाबले दोगुनी मेहनत करो, सफलता तुम्हारे कदम चूमेगी।
ऐसा क्यूं ?
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